पुरानी संसद में कार्यवाही का आज आखिरी दिन था। आजादी और संविधान को अपनाने की गवाह इस इमारत को विदाई देने पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसद पहुंचे। प्रधानमंत्री ने सबके साथ फोटो खिंचाई। इसके बाद तमाम सांसद सेंट्रल हॉल पहुंचे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का सेंट्रल हॉल हमें भावुक भी करता है और कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। यहीं 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया। बाद में संविधान ने भी यहीं आकार लिया। PM ने कहा कि आज हम यहां से विदाई लेकर संसद के नए भवन में बैठने वाले हैं और ये बहुत शुभ है कि गणेश चतुर्थी के दिन वहां बैठ रहे हैं।
आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर, नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं।प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन को संविधान सदन के नाम से बुलाने का प्रस्ताव रखा। दरअसल, केंद्र सरकार ने नए भवन में काम शुरू करने के लिए संसद का विशेष सत्र आयोजित करने का फैसला किया, जिसका उद्घाटन 28 मई 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
कल, सभी सांसद आखिरी बार पुराने भवन में मिले और अपनी यादें साझा कीं। नए भवन में संसद का विशेष सत्र गणेश चतुर्थी के साथ पड़ रहा है, जिसे नई शुरुआत करने के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही मोदी सरकार ने आज से नए भवन में संसद की कार्यवाही के लिए 19 सितंबर का दिन चुना। नए संसद भवन में आज राज्यसभा और लोकसभा की बैठक होगी।
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है. विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।
विशेष सत्र के बीच सोमवार को मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द इसे लोकसभा में पेश कर सकती है। यह पहला मौका नहीं है, जब महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर आएगा।
1996 से 27 साल में कई बार यह अहम मुद्दा संसद में उठ चुका है, लेकिन दोनों सदनों में पास नहीं हो सका. 2010 में तो हंगामे के बीच राज्यसभा में पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा से पारित नहीं हो सका था।