नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) अपने ड्रीम प्रोजेक्ट आर्टेमिस-1 मिशन को आज सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. नासा का ये तीसरा प्रयास था. पहले मिशन को इससे पहले दो बार लॉन्चिंग को रद्द कर दिया गया था. आज भी रॉकेट से हाइड्रोजन से रिसाव हो रहा था जिसके बाद कुछ देर के लिए लॉन्चिंग को टाल दिया गया था. नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के इंजीनियरों ने कभी हाइड्रोजन ईंधन के रिसाव की वजह नहीं बताई. इस बार इस कमी को दूर किया गया.
नासा के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है. बीते दो बार से लगातार लॉन्चिंग फेल हो रही थी. इसके लिए नासा ने ईंधन लाइनों पर दबाव कम करने और सील को मजबूत बनाए रखने के लिए ईंधन भरने में लगने वाले समय को करीब एक घंटे बढ़ा दिया था. इसके बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि यह कदम कारगर साबित हो रहा है, लेकिन छह घंटे की प्रक्रिया के खत्म होते-होते, रुक-रुककर हाइड्रोजन का रिसाव शुरू हो गया. लेकिन कुछ देर पहले इसको सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया गया है. 1972 के बाद अब चांद पर इंसान को भेजने की तैयारी हो रही है.
बार-बार हाइड्रोजन लीक
दूसरी बार लॉन्चिंग के दौरान वैज्ञानिकों को लॉन्च से कुछ घंटे पहले ही रॉकेट में फ्यूल लीकेज का पता चला था. इसके पहले भी फ्यूल लीकेज और इंजन में गड़बड़ी के कारण इस रॉकेट की लॉन्चिंग टाली जा चुकी थी. तीसरी बार इसको चंद्रमा पर भेजने की फिर से तैयारी की गई लेकिन मौसम से साथ नहीं दिया था. तीसरी बार मिशन को लॉन्च ही नहीं किया गया था. इसलिए इस बार जो लॉन्चिंग हो रही है उसे तीसरी बार कहा जा रहा है. वैसे देखा जाए तो ये चौथी बार होगा.
इसके तहत स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट और ऑरियन कैप्सूल को 42 दिनों के मिशन के लिए चंद्रमा के करीब भेजा जाना था. नासा के लिए यह मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आर्टेमिस के जरिए इंसान 50 साल बाद चंद्रमा पर वापसी करने जा रहा है. नासा के आर्टेमिस मिशन का लक्ष्य 2025 की शुरुआत में पहली महिला ( First woman and First Person of Colour) के पहले व्यक्ति को चंद्रमा पर भेजना है.