मानहानि केस में सूरत सेशंस कोर्ट की सजा के बाद राहुल गांधी को स्पीकर ओम बिरला ने अयोग्य करार दिया। शुक्रवार को ट्वीट के जरिए राहुल गांधी ने अपनी बात कही तो शनिवार को मीडिया के सामने कहा कि सवाल पूछना उनका हक है और वो पूछते रहेंगे। चाहे स्थाई तौर पर अयोग्य करार दिए जाएं सवाल पूछना जारी रहेगा। सदन के अंदर सरकार उनके भाषण से डर गई।लिहाजा अगले भाषण से पहले अयोग्य करार दिया गया। लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद(Ravishankar on Rahul Gandhi disqualification) ने कहा कि राहुल गांधी की बातों में विरोधाभास है। हकीकत तो यह है कि कर्नाटक चुनावों मे लाभ लेने की कोशिश की जा रही है। अगर ऐसा नहीं तो कहीं खुद कांग्रेस के नेता उन्हें पार्टी से बाहर करने की कोशिश तो नहीं कर रहे।
बीजेपी ने कसा तंज
बीजेपी के भी 6 लोग अयोग्य हुए हैं। इसके साथ ही साथ अलग दलों के नेता भी अयोग्य हुए हैं।
नाखून कटाकर शहीद होने की कोशिश
कर्नाटक चुनाव को लेकर कांग्रेस की रणनीति, राहुल गांधी को शहीद कर चुनावी लाभ की कोशिश
राहुल गांधी को कांग्रेस से बाहर करने की कोशिश
32 लोग अयोग्य घोषित किए गए और चुनाव हुए
राहुल गांधी की राजनीति सीधी है, हारे तो सब खराब, जीत गए तो सब अच्छा। जब हार जाते हैं तो विदेश में जाकर लोकतंत्र का विलाप करते हैं।
सवाल यह है कि राहुल गांधी ने ठीक से कानूनी लड़ाई क्यों नहीं लड़ी। उनके पास तो वकीलों की बड़ी बड़ी फौज है। आखिर अदालती लड़ाई क्यों नहीं लड़ी।
राहुल गांधी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि कांग्रेस के रणनीतिकार इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है। लेकिन बीजेपी का मानना है कि राहुल की यह कोशिश भी नाकाम होगी। इसके साथ ही जिस तरह से कांग्रेस अडानी के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरने की जुगत में है उसकी काट बीजेपी के पास है। बीजेपी के लोग कहते हैं कि कथनी और करनी में फर्क क्यों होना चाहिए। एक तरफ आप अडानी को चोर बताते हैं दूसरी तरफ राजस्थान में उनसे निवेश की अपील करते हैं।