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सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार फिर पहुंच रहे दिल्ली, मंत्रिमंडल को लेकर होगा मंथन, शपथ ग्रहण की तैयारियां भी तेज

कर्नाटक का नया सीएम कौन होगा? अब इस सवाल पर विराम लग चुका है। कांग्रेस हाईकमान ने काफी मंथन के बाद सिद्धारमैया को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया। वहीं कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाए जाने की घोषणा की। कर्नाटक में शनिवार (20 मई, 2023) को नए मुख्यमंत्री को लेकर शपथ ग्रहण समारोह होगा। जिसमें कांग्रेस शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को बुलाया गया है। साथ ही शरद पवार और उद्धव ठाकरे को भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा गया है।

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के अलावा सिद्धारमैया के मंत्रिमंडल में 28 मंत्री शपथ ले सकते हैं। मंत्रिमंडल में किस-किस को जगह दी जाएगी इसको लेकर दिल्ली में आज मंथन होगा। इसी को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार आज दिल्ली आ रहे हैं।

कहा जा रहा है कि दलित नेता परमेश्वर को अहम विभाग सौंपा जा सकता है। मुख्यमंत्री की रेस में डीके शिवकुमार पीछे रह गए थे। ऐसे में शिवकुमार चाहेंगे कि उनके खेमे के ज्यादातर विधायक राज्य कैबिनेट में मंत्री बनें साथ ही अहम जिम्मेदारी भी दी जाए। वहीं सिद्धारमैया मुख्यमंत्री के साथ ही मंत्रिमंडल में भी अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहेंगे। पार्टी सूत्रों की मानें तो राज्‍य कैबिनेट में कुल 28 मंत्री होंगे।

कर्नाटक कैब‍िनेट में कौन शाम‍िल हो सकता है?

कर्नाटक में कांग्रेस की नई सरकार में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर, एम.पी. पाटिल का नाम तय माना जा रहा है। इसके अलावा संभावित मंत्रियों में कृष्णा बायरे गौड़ा, लक्ष्मण सावदी, सतीश जरकीहोली, लक्ष्मी हेब्बलकर, सलीम अहमद, यू.टी. खादर, संतोष लाड, दिनेश गुंडु राव, जमीर अहमद, एच.के. पाटिल, रामलिंगा रेड्डी, के.जे. जॉर्ज, ईश्वर खंड्रे, डॉ. एच.सी. महादेवप्पा, बी.के. हरिप्रसाद और तनवीर सेठ का नाम शामिल है। कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटों के साथ बड़ी जीत हासिल की थी। जबकि भारतीय जनता पार्टी को 66 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। क्षेत्रीय पार्टी जनता दल (सेक्युलर) 19 सीटें हासिल करने में सफल रही।

सिद्धारमैया की बात करें तो उनका जन्म कर्नाटक के मैसूर जिले के वरुणा होबली में 12 अगस्त 1948 को हुआ। सिद्धारमैया का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा और जवानी संघर्ष में। सिद्धारमैया के घर में गरीबी इतनी थी कि उनको अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने मवेशियों को चराना शुरू किया। जिससे परिवार का भरण-पोषण किया जा सके।

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