भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के पूर्व सचिव और झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी का मंगलवार को हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 62 वर्ष के थे। अमिताभ चौधरी ने एक दशक से अधिक समय तक जेएससीए का नेतृत्व किया।
रांची स्थित सेंटेविटा अस्पताल के चिकित्सक डा. वरुण कुमार ने बताया कि अमिताभ चौधरी को दिल का दौरा पड़ने के बाद सुबह लगभग पौने आठ बजे आपात चिकित्सा कक्ष में लाया गया। उन्हें बचाने के लिए चिकित्सकों ने पूरा प्रयास किया, लेकिन लगभग नौ बजे उनका निधन हो गया।
सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के बाद उनकी तबीयत थोड़ी खराब हो गई थी। उन्होंने अपने निवास पर ही आराम किया। अमिताभ चौधरी के करीबी और झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के सचिव देवाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि मंगलवार सुबह उन्हें घर पर ही दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद आनन फानन में उन्हें सेंटेविटा अस्पताल ले जाया गया था।
बीसीसीआई में प्रशासकों की समिति के शासन के दौरान, उन्होंने बोर्ड के कार्यवाहक सचिव के रूप में भी कार्य किया। झारखंड कैडर के आईपीएस अफसर रहे अमिताभ चौधरी झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के चेयरमैन भी रह चुके थे। झारखंड में क्रिकेट को प्रतिस्थापित करने में अमिताभ चौधरी का योगदान अद्वितीय माना जाता है। उनके प्रयास से ही रांची में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान का निर्माण करा पाया था।
उनके निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘JPSC के पूर्व अध्यक्ष श्री अमिताभ चौधरी जी के आकस्मिक निधन की दुःखद खबर मिली। पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ जी ने राज्य में क्रिकेट के खेल को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को दुःख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे।’
अमिताभ चौधरी का जन्म 6 जुलाई 1960 को अविभाजित बिहार में हुआ था। अमिताभ चौधरी ने प्रशासन, क्रिकेट से लेकर राजनीति में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी। वह 1985 में आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद बिहार कैडर से आईपीएस बने। अलग राज्य बनने के बाद उन्हें झारखंड कैडर मिला। अमिताभ चौधरी 2005 में राज्य के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो को हराकर जेएससीए के अध्यक्ष बने थे।
वह 2005 से 2009 तक भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर भी रहे। उन्होंने 2013 में वीआरएस लिया और 2014 में राजनीति में कदम रखा। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर वह बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम में शामिल हुए। उन्होंने जेवीएम के टिकट पर रांची लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, हालांकि, वह चुनाव जीत नहीं पाए थे।