संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज (18 सितंबर) से शुरू हो चुका है और 22 सितंबर को समाप्त होगा। संसद के विशेष सत्र के दौरान, लगभग आठ विधेयकों को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। सत्र में संसद की 75 साल की यात्रा पर भी चर्चा हो रही है। मंगलवार को पहली बार सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी। विशेष सत्र की घोषणा राजनीतिक हलकों में एक आश्चर्य के रूप में सामने आई, क्योंकि पार्टियां इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही हैं।
विपक्षी दलों ने एजेंडे का खुलासा किए बिना संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान क्या चर्चा होगी. गोहिल ने कहा, “हमारी संसदीय परंपरा और प्रक्रिया में कहा गया है कि सदस्यों को विधेयक का मसौदा और सरकारी कामकाज दिखाया जाना चाहिए…जब कोई विशेष सत्र बुलाया जा रहा हो तो सदस्यों को कामकाज के बारे में पहले से बताया जाना चाहिए…यह यह पहली बार है कि इस सत्र में कोई प्रश्नकाल या शून्यकाल नहीं होगा…”।
संसद के विशेष सत्र में संसदीय कार्यवाही पुराने से नए भवन में स्थानांतरित हो जाएगी। रविवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नए संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। धनखड़ ने नए संसद भवन के “गज द्वार” के ऊपर झंडा फहराया।
पहले सूचीबद्ध विधेयकों में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित विधेयक भी शामिल है। यह विधेयक पिछले मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था और विपक्ष ने इसका विरोध किया था, क्योंकि इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों को कैबिनेट सचिव के बराबर रखने की मांग की गई है न कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर। इसे उनके कद में गिरावट के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि किसी भी संभावित नए कानून पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन भाजपा समेत अन्य लोगों की राय है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसी निर्वाचित विधायिकाओं में महिलाओं के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एक विधेयक लाया जाएगा।
पीएम मोदी ने हाल ही में जी20 शिखर सम्मेलन सहित अक्सर इस बात पर प्रकाश डाला है कि देश में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका ने इस तरह के विधेयक के बारे में चर्चा बढ़ा दी है। पांच दिवसीय सत्र में महिला आरक्षण विधेयक लाने की विभिन्न दलों की मांग पर सरकार के रुख के बारे में पूछे जाने पर, प्रहलाद जोशी ने कहा कि सरकार उचित समय पर उचित निर्णय लेगी।
मंगलवार को होगा ग्रुप फोटो
लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, यह समारोह भारतीय संसद की समृद्ध विरासत को याद करेगा और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेगा। सरकार का विधायी कामकाज 20 सितंबर से नए भवन में शुरू होगा। मंगलवार सुबह लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों को ग्रुप फोटो के लिए बुलाया गया है। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक, सभी सांसदों को मंगलवार सुबह 9.30 बजे ग्रुप फोटो के लिए बुलाया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि ग्रुप फोटो के लिए पुरानी इमारत के आंतरिक प्रांगण में व्यवस्था की गई है। नए संसद भवन में प्रवेश के लिए सांसदों को नए पहचान पत्र भी जारी किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि कैटरिंग भी 19 सितंबर को नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाएगी।
सरकार की ओर से मंत्रियों को निर्देश-
सरकार की ओर से सभी कैबिनेट मंत्रियों, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्रियों को विशेष सत्र के पांचों दिन सदन की पूरी कार्यवाही के दौरान पूरे समय मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है। आदेश के मुताबिक, लोकसभा सांसद जो मंत्री हैं उनको लोकसभा और राज्यसभा से सांसद मंत्रियों को पूरी कार्यवाही के दौरान राज्यसभा में मौजूद रहने का निर्देश मिला है। अमूमन दोनों में सदनों में एक-एक मंत्री की कार्यवाही के दौरान रोस्टर ड्यूटी लगती है।
रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक
संसद के विशेष सत्र से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, डीएमके नेता वाइको, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता वी शिवदासन सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने पहुंचे। रविवार को कई सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने सोमवार से शुरू होने वाले पांच दिवसीय संसद सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की जोरदार वकालत की।
संजय सिंह और राघव को बहाल करने की मांग
विपक्ष की पार्टियों आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा को बहाल करने की मांग की। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के चयन प्रक्रिया में कोई बदलाव न करने का भी मुद्दा उठाया। इसके अलावा महिला आरक्षण, जाति जनगणना, अडानी मामला, CAG रिर्पोट, मणिपुर, मेवात सहित तमाम मुद्दों पर सदन में चर्चा की मांग की गई। संसद के विशेष सत्र से पहले रविवार शाम सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कई नेताओं ने कहा कि लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को पेश किया जाना चाहिए।