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कर्नाटक चुनाव से पहले बीजेपी का बड़ा दांव, 4% मुस्लिम आरक्षण किया खत्म

इस साल देश में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें कर्नाटक (Karnataka) भी शामिल है, जहाँ मई में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने वाला है। कर्नाटक का विधानसभा कई मायनों में अहम है। बीजेपी (BJP) राज्य में सत्ता बनाए रखने की कोशिश करेगी, तो काँग्रेस (Congress) सत्ता में फिर से लौटने की कोशिश करेगी। चुनाव से पहले सियासी फैसलों का दौर भी शुरू हो गया है। हाल ही में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने कर्नाटक में एक बड़ा दांव खेला है। कर्नाटक में बीजेपी की बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) सरकार ने हाल ही में राज्य में मुस्लिम आरक्षण पर एक बड़ा फैसला लिया है।

4% मुस्लिम आरक्षण किया खत्म

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने कर्नाटक में एक बड़ा फैसला लिया है। अब तक राज्य में मुस्लिमों को 4% आरक्षण मिलता था। अब राज्य सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया है। सरकार ने अब मुस्लिमों को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) में शामिल करने का फैसला लिया गया है। मुस्लिमों को अब अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है।

EWS को राज्य में 10% आरक्षण मिलता है, जो सभी EWS के तहत आने वाले सभी समुदाय के लोगों को सामान रूप से मिलेगा।

मुस्लिम आरक्षण मिला इन समुदायों को

कर्नाटक में अब मुस्लिमों को मिलने वाले 4% आरक्षण को खत्म करते हुए इसके बंटवारे का फैसला किया गया है। पर यह मुस्लिमों को नहीं मिलेगा। सरकार ने वोक्कालिगा (Vokkaliga) और लिंगायत (Lingayat) समुदाय को 4% से 2-2% अतिरिक्त आरक्षण देने का फैसला लिया है।

अब वोक्कालिगा समुदाय को मिलने वाला आरक्षण 4% की जगह बढ़कर 6% हो जाएगा और लिंगायत समुदाय को मिलने वाला आरक्षण 5% की जगह बढ़कर 7% हो जाएगा। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री बोम्मई ने शुक्रवार, 24 मार्च की शाम को दी।

कर्नाटक में आरक्षण बढ़कर हुआ 56%

कर्नाटक में इससे पहले कुल 50% आरक्षण दिया जाता था, जिसे अब बढाकर 56% कर दिया गया है। अब अनुसूचित जाति के लिए 17% आरक्षण, अनुसूचित जनजाति के लिए 7% आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए 32% आरक्षण की व्यवस्था रहेगी।

बीजेपी को कैसे हो सकता है फायदा?

मुस्लिम आरक्षण को खत्म करके वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के आरक्षण को बढ़ाने से आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा मिल सकता है। दोनों समुदाय राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावी हैं। ऐसे में इनके आरक्षण को बढ़ाने से बीजेपी को का वोट बैंक बढ़ेगा और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में फायदा भी मिलेगा।

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