कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में सूरत की कोर्ट ने दोषी करार दिया। और 2 साल की सजा सुनाई है। इस सजा के साथ ही जन प्रतिनिधित्व कानून की वजह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई। सुप्रीम कोर्ट में जन प्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 8 (3) की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए एक पीआईएल दायर की गई है।
इस पीआईएल में मांग की गई है कि, इस सेक्शन को रद्द किया जाए। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि, धारा 8(3) के तहत प्रतिनिधियों को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें अपने आप अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए। पीआईएल में कहा गया कि, चुने हुए प्रतिनिधि को सजा का एलान होते ही उनका जन प्रतिनिधित्व यानी सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पीआईएल में कहा गया है कि, अधिनियम के चेप्टर-III के तहत अयोग्यता पर विचार करते समय आरोपी के नेचर, गंभीरता, भूमिका जैसे कारकों की जांच की जानी चाहिए।
जन प्रतिनिधि कानून क्या है जानें ?
जन प्रतिनिधि कानून 1951 में व्यवस्था की गई है कि, यदि किसी जन प्रतिनिधि को किसी मामले में दो साल या इससे अधिक की सजा होगी तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा सजा पूरी होने के छह साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा। किसी मौजूदा सदस्य के मामले में तीन महीने की छूट दी गई है।
राहुल गांधी संसद सदस्यता खत्म
सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि, उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने के लिए मामले में 30 दिन की जमानत दी गई है। राहुल ने अपनी अयोग्यता पर प्रतिक्रिया देते हुए हिंदी में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि, मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं और कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।