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अगले 3-4 साल में बंद हो जाएंगी देश की 30 कोयला खदानें, बदलेगा नजारा

देश में अगले तीन से चार वर्षों में लगभग 30 कोयला खदानें बंद हो जाएंगी। ये फैसला कुछ खास उद्देश्यों से लिया गया है। इससे वनों या जल निकायों का रास्ता साफ होगा, साथ ही आयातित कोयले की मात्रा में भी काफी कमी आएगी। यानी कुछ वर्षों में इन जमीनों पर हरे-भरे जंगल और तालाब नजर आएंगे। ये फैसला देश में साल 2040 तक थर्मल पावर उत्पादन के लिए कोयले की लगातार बढ़ती मांग के लिहाज से बेहद अहम है। केंद्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने सोमवार को मुंबई में चल रहे जी 20 शिखर सम्मेलन के इतर सिलसिलेवार इसकी जानकारी दी।

50 लाख लोग होंगे प्रभावित

मीणा ने कहा कि डी-कोलिंग या कोयला-खान बंद करने से निश्चित रूप से पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इसका लोगों के रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय में लगे 50 लाख लोगों की आजीविका प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि वे और उनकी आजीविका ज्यादा प्रभावित न हो।

कोयला खदानों की बदल रही तस्वीर

कोयला खदानें बंद करके इसकी जमीन को राख से भरकर पेड़ लगाए जा रहे हैं। कृषि भूमि बनाकर, तालाब और सोलर प्लांट तैयार करके पर्यावरण के अनुकूल इसे उपयोग में लाया जा रहा है। अनुमानित 2 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन में से लगभग 20000 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई है। अगले कुछ वर्षों में हर साल 500 हेक्टेयर जमीन को पर्यावरणीय इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। कोयले की खदानें औसतन 25 से 30 साल तक चलती हैं।

मीणा ने कहा कि कोल इंडिया और अन्य सरकारी एजेंसियां जो कोयला खनन व्यवसाय में हैं, खनन गतिविधियों के लिए जरूरी ऊर्जा उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन का शून्य लक्ष्य हासिल करते हुए 2026 तक 5200 सौर ऊर्जा उत्पादन करेगी।

अभी 220 मिलियन टन कोयले का आयात

यह जानकारी देते हुए कि उत्पादित बिजली का 75% हिस्सा अभी भी थर्मल है, मीणा ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023 में इस्तेमाल होने वाले 892 मिलियन टन कोयले की मौजूदा मात्रा 2024 तक 1.1 बिलियन, 2030 तक 1.5 बिलियन और 2040 तक काफी अधिक हो जाएगी। अभी कुल 892 मिलियन टन में से लगभग 220 मिलियन टन कोयले का आयात किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस आयात में से 90 से 100 मिलियन टन कोयला की जगह घरेलू कोयला इस्तेमाल हो सकता है। इससे देश को आयात पर अपने मौजूदा 3 लाख करोड़ रुपये के खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।

नेपाल-बांग्लादेश के लिए अतिरिक्त कोयला होगा

मीणा ने कहा कि देश अपना कोयला उत्पादन इस तरह से बढ़ा रहा है कि वित्त वर्ष 2026 तक हमारे पास नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों को निर्यात के लिए भी अतिरिक्त कोयला होगा। मीणा के अनुसार कमर्शियल लीज पर बोली लगाने वाली लगभग 87 खानों में 2024 तक 1012 मिलियन टन कोयला जुड़ जाएगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि कोयला खनन की मात्रा वर्तमान 75% से घटकर 2040 तक 31% हो जाएगी, जिसमें निजी खनन कंपनी का योगदान 2030 तक 25% तक होगा। निजी कोयला कंपनियां 2024 में मौजूदा 1100 मिलियन टन में से हर साल 500 मिलियन टन क्षमता की आपूर्ति संभालेंगे।

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