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‘महिला रेसलर्स को कोठी पर बुलाते थे’, बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक और बड़ी गवाही

रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ एक और बहुत बड़ी और नई गवाही सामने आई है। रेफरी जगबीर सिंह के बाद अब फिजियोथेरेपिस्ट परमजीत मलिक ने भी दावा कर दिया है कि रेसलर्स के आरोप 100 फीसदी सही हैं। उनको सताया जाता था, शारीरिक शोषण होता था। काफी समय से रेसलिंग से जुड़े रहे फिजियोथेरेपिस्ट परमजीत मलिक का यह दावा सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।मलिक ने आगे कहा कि लगभग 100 रेसलर्स का मानसिक और शारीरिक शोषण हुआ है। यह लंबे समय से चल रहा था। दिल्ली-लखनऊ की कोठी पर वो महिला पहलवानों महिला पहलवानों को बुलाते थे और जो रेसलर वहां जाने से मना करती थी, उसे बिना कोई जायज कारण बताए, मैच खेलने से रोक दिया जाता था। इसीलिए इस गंभीर मामले पर पहले किसी ने आवाज नहीं उठाई।

कल जगबीर ने क्या बयान दिया था

रेफरी जगबीर ने टीम के ग्रुप फोटो का हवाला देते हुए बताया कि दिल्ली पुलिस ने उनसे इस बारे डिटेल में पूछा था। तब जगबीर ने बताया की- मैंने उसे यानी फेडरेशन चीफ बृजभूषण को महिला रेसलर के बगल में खड़े देखा था। उसने खुद को उसके गिरफ्त से छुड़ाया,उसे धक्का दिया, कुछ बुदबुदाई और फिर दूर चली गई। वह अध्‍यक्ष के बगल में खड़ी थीं, लेकिन फिर सामने आ गई।

मैंने देखा कि यह महिला पहलवान रिएक्‍ट कर रही थी और बहुत ज्यादा असहज थी। उसके साथ जरुर कुछ गलत हुआ। मैंने उसे कुछ करते हुए नहीं देखा, लेकिन उसके हाथ पैर खूब चलते थे। वह महिला रेसलर को छूकर कहता था- इधर आ जा। इधर आकर खड़ी हो जाओ। उस महिला पहलवान के व्यवहार से साफ़ झलक रहा था कि उस दिन फोटो सेशन के दौरान कुछ गलत हुआ था।

FIR में क्या कहा गया

FIR दर्ज करने वाली महिला पहलवान ने अपने शिकायत में कहा- मेरी हाइट सबसे ज्यादा थी, ऐसे में मुझे लाइन के अंत में खड़ा होना था। जब मैं आखिरी पंक्ति में खड़ी थी और दूसरे पहलवानों के पोज़ीशन लेने का इंतज़ार कर रही थी, तभी आरोपी मेरे पास आकर खड़ा हो गया। मैंने अचानक अपने कमर के नीचले के हिस्से पर किसी का हाथ महसूस किया।

जब मैंने पीछे मुड़ी और उसके बाद उस हाथ रखने वाले शख्स को देखी तो हैरानी रह गई। आरोपी के अनुचित स्पर्श से खुद को बचाने के लिए मैंने तुरंत उस जगह से दूर जाने की कोशिश की, जब मैंने वहां से जाने का प्रयास किया तो आरोपी ने जबरन मेरा कंधा पकड़ लिया। मैंने किसी तरह उसे धक्का देकर खुद को उसके चंगुल से बचाया।

चूंकि मैं टीम की फोटो खिंचाने से नहीं बच सकती थी, ऐसे में मैंने आरोपी से दूर जाकर पहली पंक्ति में बैठने का फैसला किया। उम्मीद करते है कि दिल्ली पुलिस अब इस मामले की जांच में तेजी लाएगी और पारदर्शिता बरतेगी, जो भी सत्य होगा उसका पता लगाएगी। क्योंकि आने वाले कुछ महीने में कई सारे टूर्नामेंट होने हैं, ऐसे में अगर इस जांच को डिरेल किया जायेगा तो भारत के प्रदर्शन पर भी असर पड़ेगा।

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