पूर्व विधायक व मंत्री समरेश सिंह उर्फ समर सिंह अब दुनिया में नहीं हैं। गुरुवार की सुबह लगभग 4:00 बजे उन्होंने सेक्टर चार स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। चंदनकियारी प्रखंड के देबलटांड़ में शुक्रवार को सुबह करीब नौ बजे समरेश सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार होने की बात कही जा रही है।
मालूम हो कि समरेश सिंह को मंगलवार को ही रांची स्थित मेदांता अस्पताल से बोकारो लाया गया था। उनके निधन पर पूरे राज्य में शोक की लहर है। लोग संवेदना प्रकट कर रहे हैं। समरेश सिंह के पीछे उनके तीन बेटों का भरा-पूरा परिवार है। एक पुत्र अमेरिका में है तो दो बेटे सिद्धार्थ सिंह माना व संग्राम सिंह का पूरा परिवार बोकारो में रहता है। बड़ी पुत्रवधू डॉक्टर परिंदा सिंह व छोटी बहू श्वेता सिंह दोनों राजनीति में सक्रिय हैं। करीब पांच साल पहले वर्ष 2017 में समरेश सिंह की पत्नी भारती सिंह का निधन हो गया था। समर्थक उन्हें प्यार से दादा बुलाते थे।
झुककर राजनीति नहीं की
समरेश सिंह ने कभी भी झुककर राजनीति नहीं की। अटल बिहारी बाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेताओं के प्रिय पात्र होने के बावजूद जब भाजपा में उनकी नहीं जमी तो उन्होंंने तुरंत पार्टी को छोड़ दिया। इसके बाद अपना दल बनाकर भी बोकारो से विधानसभा चुनाव लड़े और विधायक बने। राजनीतिक जीवन के अंतिम सफर में वह बाबूलाल मरांडी के साथ उनकी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा में भी रहे। समरेश सिंह काे करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि उनका जीवन हमेशा राजनीतिक संघर्ष का ही रहा।झारखंड अलग राज्य के गठन के बाद समरेश सिंह पहली सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बनाए गए।
अनोखे अंदाज से लोकप्रिय थे दादा
दाहिने हाथ की मुट्ठी को बंद कर एक उंगली को ऊपर उठाने का उनका अंदाज उन्हें बुलंद बनाता था। बहरहाल, आज वह नहीं हैं तो उनकी एक झलक पाने को समर्थक उनके घर के बाहर जमे हैं।