ज्ञानवापी मामले से जुड़ी सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार सुबह से ही शुरू हो चुकी है. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता में चल रही बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. मामले में मंदिर पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन पेश हुए हैं वहीं, मस्जिद कमेटी की तरफ से एसएफए नकवी पेश हुए हैं. दोनों वकील चीफ जस्टिस की बेंच के सामने अपना-अपना पक्ष रख रहें हैं.
दोनों पक्षों की दलीलें – नकवी ने मंदिर पक्ष से पेश हुए वकील पर आरोप लगाते हुए कहा कि, मस्जिद के एक हिस्से पर, यानी वजूखाने से जुड़े मामले पर जब शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी, और वादी पक्ष उस हिस्से पर कब्जा करने के प्रयास में असफल रहा, तो उन्होंने नए सर्वे का आवेदन दायर कर दिया. नकवी ने आगे कहा कि, जिस क्षेत्र की खुदाई होनी है वो मस्जिद के अंदर ही आता है और ऐसा करने से बिल्डिंग को नुकसान पहुंच सकता है और मस्जिद ढह सकती है.
मुस्लिम पक्ष की 3 बड़ी दलीलें –
इस पूरे मामले में ASI ने इतनी तेजी क्यों दिखाई ?
ASI के इस सर्वे के कारण ज्ञानवापी मस्जिद के मूल स्वरूप को नुकसान पहुंच सकता है.
जब सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से कहा कि मुकदमा सुनने लायक है या नहीं? पर फिर भी अदालत ने सर्वे कराने का फैसला दे दिया.
कोर्ट द्वारा मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्ष न बनाए जाने पर पूछे गए सवाल पर जैन ने कहा कि इसका कोई नियम नहीं है. जैसे किसी राइटिंग एक्सपर्ट को राइटिंग जांचने के लिए आदेश दिए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार एएसआई को भी सर्वे करने के आदेश दिया गया था. ऐसे में उसको पार्टी बनाना जरूरी नहीं है.
मस्जिद में होने वाली खुदाई को लेकर चीफ जस्टिस ने पूछा कि ‘क्या खुदाई जरूरी है’? इसपर, एएसआई का हवाला देते हुए जैन ने कहा कि, खुदाई मस्जिद के अंदर नहीं की जा रही है. जरूरत पड़ने पर ग्राउंड रडार मैपिंग का उपयोग करके ही खुदाई की जाएगी, और वह भी अंतिम चरण में. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मंदिर के साक्ष्य तभी मिलेंगे जब इसका सर्वे कराया जाएगा.
CPC का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सर्वे कमीशन भेज सकता है साथ ही इस संदर्भ में सरकार को भी दिशा निर्देश दिए जा सकते हैं. नकवी ने ज्ञानवापी में होने जा रही खुदाई पर भी आपत्ति जताई. जिसपर विष्णु जैन ने कहा, कि हम बिल्डिंग की खुदाई नहीं कर रहे बल्कि परिसर केबंजर क्षेत्रको खोद रहे हैं.
मस्जिद कमेटी ने कहा – ‘कोर्ट में एक अर्जी दाखिल होती है जिसमें कोर्ट ने इमिडियेट साइनटिफिक सर्वे का आदेश दिया, जो गलत है’. कानून का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि साइनटिफिक सर्व से पहले एक कमीशन भेज कर यह पता लगाना चाहिए कि विवादित स्थल पर सर्वे आसानी से हो सकता भी है या नहीं. यदि इसमें कोई दिक्कत आती है तो सहूलियत के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
न्यायाधीश के सामने अपना पक्ष रखते हुए नकवी ने सबसे पहले सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के सेक्शन 75 का जिक्र किया. न्यायाधीश ने फरहान नकवी से उन 4 महिलाओं की दायर की गई एप्लीकेशन को पढ़ने को कहा. वादी पक्ष से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने अपना पक्ष रखते हुए सबसे पहले ज्ञानवापी के स्ट्रक्चर को बताना शुरू किया.
दरअसल, वाराणसी की निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया कमेटी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय पहुंची थी. जिसके बाद अदालत ने 26 जुलाई की शाम पांच बजे तक मस्जिद के सर्वे को रोक दिया था. साथ ही, इंतजामिया कमेटी को हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखने का मौका दिया था. इसी मामले में आज हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है.