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मनीष सिसोदिया की बढ़ी मुश्किलें, अब जासूसी मामले में FIR दर्ज, सीएम केजरीवाल के सलाहकार का नाम भी शामिल

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आम आदमी पार्टी (AAP) की ‘फीडबैक यूनिट’ से जुड़े एक जासूसी मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत सात लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत FIR दर्ज की है। इस नयी FIR में सीएम अरविंद केजरीवाल के सलाहकार का भी नाम शामिल है।

आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सीबीआई ने सिसोदिया पर यह दूसरी एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने साल 2016 के आसपास एक फीडबैक यूनिट तैयार की थी। इस फीडबैक यूनिट से कई लोगों की जासूसी की गई। यह भी आरोप है कि इस यूनिट में भर्ती के लिए केंद्र सरकार से परमिशन नहीं ली गई थी।

मनीष सिसोदिया पर जासूसी मामले में FIR दर्ज

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दिए जाने के 14 दिन बाद सीबीआई ने 14 मार्च को FIR दर्ज की। उन पर आपराधिक साजिश, संपत्ति के बेईमानी से गबन, एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी, जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना, खातों में हेराफेरी और एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

FIR में सीएम केजरीवाल के सलाहकार का नाम भी शामिल

एफआईआर में कहा गया है, “9 मार्च को विजय ए देसाई, निरीक्षक, सीबीआई (भ्रष्टाचार विरोधी शाखा) से एक लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी। दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, दिल्ली सरकार में तत्कालीन सचिव सतर्कता सुकेश कुमार जैन, सीआईएसएफ के सेवानिवृत्त डीआईजी राकेश कुमार सिन्हा- मुख्यमंत्री के तत्कालीन विशेष सलाहकार और संयुक्त निदेशक (एफबीयू) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

इसके साथ ही प्रदीप कुमार पुंज, इंटेलिजेंस ब्यूरो के सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशक और तत्कालीन उप निदेशक (FBU), सतीश खेत्रपाल, CISF के सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट और फीड बैक ऑफिसर के रूप में कार्यरत, गोपाल मोहन, दिल्ली के मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार और कई अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

शिकायतकर्ता देसाई ने कहा कि जांच में पता चला है कि एफबीयू के जरिए अनिवार्य जानकारी एकत्र करने के अलावा, यूनिट ने राजनीतिक खुफिया जानकारी भी एकत्र की जो इसके कार्य क्षेत्र के दायरे से बाहर थी। जांच से यह भी पता चला है कि सिसोदिया ने 22 अप्रैल, 2016 को पीके पुंज द्वारा पेश किए गए एक नोट पर एफबीयू के लिए विशेष भत्ते के लिए मंजूरी दे दी थी।

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