दिल्ली हाईकोर्ट के बाद बिना पहचान 2000 रुपये के नोट को बदले जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। अश्विनी उपाध्याय को इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट से भी झटका लगा था। हाईकोर्ट ने उनकी उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था जिसमें आरबीआई के उस फैसले को चुनौती दी गई जिसमें बैकों में बिना आईडी इन नोटों को बदला जा रहा है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार का यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
याचिका में क्या की गई मांग
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा कि कई बैक बिना किसी आईडी से 2000 के नोट को बदल रहे हैं। उन्होंने एसबीआई समेत कई बैंकों का उदाहरण देते हुए कहा कि ग्राहकों से इन नोट को बदलने के लिए ना कोई पर्ची मांगी जा रही है और ना ही कोई पहचान पत्र मांगा जा रहा है। हालांकि ग्राहक एक बार में सिर्फ 10 नोट ही बदल सकेंगे। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक व भारतीय स्टेट बैंक की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा था कि बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के नोट या तो व्यक्तिगत लॉकर में पहुंच चुके हैं अथवा उन्हें अलगाववादियों, आतंकियों, नक्सलियों, ड्रग तस्करों, खनन माफिया व भ्रष्ट लोगों ने जमा कर लिया है।
19 मई को आरबीआई ने किया था ऐलान
बता दें कि आरबीआई ने 19 मई को 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की थी। आरबीआई ने ऐलान किया था कि लोग 23 मई 2023 से 30 सितंबर 2023 तक नोट को बैंकों में जमा करा सकेंगे। इसके साथ ही प्रतिदिन 10 नोट बदल भी सकेंगे। आईबीआई की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि 30 सितंबर तक 2000 के सभी नोट वैध रहेंगे। इनका लेनदेन किया जा सकेगा।