नई दिल्ली। दिल्ली में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल ( Cabinet Meeting ) की बैठक में तीन कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव ( Farm Laws Repeal Bill ) पर मुहर लग गई है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के ऐलान के बाद सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है।
हालांकि, इस बारे में अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। वहीं अब 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार इस बिल को वापस लेने के लिए एक विधेयक पेश करेगी।
जून 2020 में मोदी सरकार इन तीनों कृषि कानूनों का अध्यादेश लेकर आई थी उस कानून को रद्द करने के लिए बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पास हो गया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 19 नवंबर सुबह 9 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन किया। इस संबोधन में उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था।
अब इस एलान के बाद सरकार ने पहला कदम बढ़ाते हुए कैबिनेट मीटिंग इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।
अब आगे क्या?
- कैबिनेट मीटिंग में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा।
- हालांकि बिल लाने से पहले कृषि मंत्रालय संसद में तीन कृषि कानूनों की वापसी से जुड़ा एक प्रस्ताव तैयार करेगी और उसे कानून मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।
- फिर कानून मंत्रालय इस प्रस्ताव के कानूनी वैधधता की जांच करेगा। हालांकि केंद्रीय कैबिनेट की हरी झंडी मिलने के बाद कानून मंत्रालय के पास ज्यादा कुछ जांचने के लिए नहीं होता है। आसानी से इस प्रस्ताव को क्लियरेंस मिल जाएगा।
- संसद में बिल वापसी पर चर्चा, बहस और वोटिंग की जाएगी।
- वोटिंग में दो-तिहाई बहुमत मिलने के बाद बिल को उच्च सदन यानी राज्य सभा में पेश किया जाएगा।
- यहां से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
- राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून रद्द या निरस्त हो जाएगा।
क्या चाहते हैं किसान
सरकार भले ही तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने लिए कानूनी कदम भी उठा रही है, लेकिन अब किसान आंदोलन खत्म होता नहीं दिख रहा है।
किसान नेता राकेश टिकैत के मुताबिक सरकार ने MSP और 700 किसनों की मौत को लेकर अब तक कुछ नहीं किया। जो हमारा अहम मुद्दा है।
26 जनवरी तक का समय
टिकैत ने कहा कि सरकार को इसपर भी बात करनी चाहिए। 26 जनवरी से पहले तक अगर सरकार मान जाएगी तो हम चले जाएंगे।