Report- Brahmdev yadav
PATNA: बिहार में सरकारी अधिकारियों के तबादले पर विवाद गहरा गया है। तीन सालों से जुलाई के पहले हफ्ते में तबादले पर तकरार दिख रहा है। पिछली बार यानी 2021 में भी भारी बवेला मचा था। तब नीतीश राज में व्याप्त अफसरशाही के खिलाफ जेडीयू कोटे के मंत्री ने ही बगावत कर दिया था।
अपने विभाग में 30 जून तक सीडीपीओ के तबादले का आर्डर जारी नहीं होने से बिफरे समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी। उन्होंने कहा था कि नीतीश राज में मंत्रियों की हैसियत चपरासी के बराबर नहीं।
एक बार फिर से अफसरों के तबादले को लेकर बवाल मच गया है। इस बार बीजेपी कोटे के मंत्री द्वारा किये गये तबादले को मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद रद्द किया गया है। इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय ने ऐलान कर दिया है कि विभाग चलाने से क्या फायदा जहां मंत्रियों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं हो?
तो बिहार में स्थापित है तबादला उद्योग?
कहा जाता है कि बिहार में दूसरा उद्योग फल-फुल रहा हो या नहीं, लेकिन तबादला उद्योग खूब फल रहा। इस उद्योग से नेता-वरीय अधिकारी मालामाल हो रहे। विपक्षी दल के नेता तबादला उद्योग को लेकर नीतीश सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं चुकते। हर बार जून महीने में बड़े स्तर पर अधिकारियों का स्थानांतरण-पदस्थापन किया जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान बड़े स्तर पर उगाही की जाती है। नेता से लेकर अफसर तक बहती गंगा में जमकर हाथ धोते हैं। तभी तो पिछले कई सालों से तबादले पर जुलाई के पहले हफ्ते में भारी तकरार हो रहा।
नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों को इस्तीफे तक की घोषणा करनी पड़ रही है.1 जुलाई 2021 को जेडीयू कोटे से समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने बगावत का बिगूल फूंका था। वजह थी 30 जून तक अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं कर पाना। ठीकरा विभाग के प्रधान सचिव पर फोड़ा था। इस बार बारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आ गई।
मंत्री रामसूरत राय ने 30 जून को 149 सीओ का स्थानांतरण किया। इसके बाद खबर आई कि इस तबादले में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की गई है। इसमें बड़े स्तर पर उगाही की गई है। मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने विभाग के स्थानांतरण आदेश को ही रद्द करवा दिया। इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय बिफऱ गये हैं।
मंत्री रामसूरत राय का खुला ऐलान
मंत्री रामसूरत राय ने ऐलान कर दिया है कि 20 महीने में हमने 20 दिन भी अपने घर का काम नहीं किया है . हम ऐलान करते हैं कि आज से मैं कहीं भी जनता दरबार नहीं करूंगा. जनता की समस्या नहीं सुनूंगा. विभाग के अंदर जब मंत्री को स्वतंत्र अधिकार ही नहीं मिल सकता है तो विभाग चलाना बेवकूफी है ।
उन्होंने कहा है कि अंचलाधिकारियों के स्थानांतरण में हमने कोई गड़बड़ी नहीं की । जहां तक सीओ के स्थानांतरण आदेश को रोक कर समीक्षा करने की बात है तो इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विशेषाधिकार है.वे कभी भी समीक्षा कर सकते हैं. उनका आदेश आया कि कैंसिल करके इसकी समीक्षा हो. समीक्षा में पूरी बात आ जाएगी. हमने कोई ऐसा गलत काम नहीं किया है. हमने विधायकों का सम्मान किया था. अगर विधायकों का सम्मान करना गलत था तो ट्रांसफर भी गलत है .अगर सही था तो स्थानांतरण सही था . हमने जेडीयू-बीजेपी व अन्य को मिलाकर 80 विधायकों का सम्मान किया था. राजनीति में पैरवी सुनी जाती है,पैरवी आम बात है.
मदन सहनी ने भी इस्तीफे का किया था ऐलान
इसके पहले 1 जुलाई 2021 को जेडीयू कोटे से समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने अधिकारियों का ट्रांसफऱ नहीं करने पर इस्तीफे की घोषणा कर दी थी। सहनी ने कहा था कि अधिकारी बात नहीं सुनते हैं. ऐसे में मंत्री पद पर बने रहना मेरे लिए कहीं से भी उचित नहीं है, जिस कारण से हमने फैसला किया है कि मंत्री पद से इस्तीफा देंगे. उन्होंने कहा कि कि यह कोई एक विभाग का मामला नहीं है, बल्कि सभी विभागों में यही हाल है, कोई कहता है तो कोई छुपाता है.
मदन सहनी ने समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव अतुल प्रसाद पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा था कि अधिकारी की मनमानी चलती है. जब सरकार के मंत्रियों की कोई पूछ ही नहीं है तो मंत्रियों के आदेश का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि मंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जाती है.
ऐसे में मंत्री पद पर मेरे लिए बने रहना कहीं से भी उचित नहीं था.सहनी ने कहा था कि मैंने मुख्य सचिव से लेकर के मुख्यमंत्री तक को इस्तीफे की सूचना दे दी है. उन्होंने कहा कि हमने मन बना लिया है कि मंत्री पद से इस्तीफा देंगे तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अधिकारियों की मनमानी से व्याकुल होकर इस्तीफा देने का फैसला किया. जेडीयू में आगे भी बना रहूंगा.
मदन सहनी के इस्तीफे की घोषणा और अफसरशाही पर ठीकरा फोड़े जाने के बाद सीएम नीतीश कुमार हरकत में आये थे। नीतीश कुमार ने मंत्री और विभाग के सचिव को बुलाया था। बताया जाता है कि तब सीएम नीतीश ने मंत्री की क्लास भी लगाई थी। सीएम नीतीश के तल्ख तेवर के बाद मदन सहनी ने अपना इस्तीफा वापस लिया था। तब से वे शांत रहते हैं। जानकार बताते हैं कि जून महीने में विभाग के अधिकारियों के स्थानांतरण का अधिकार मंत्री के पास है।
लिहाजा मंत्री के स्तर से ही फाइल का निबटारा होता है। अधिकारियों के तबादले में बड़े स्तर पर सेटिंग और लेन-देन की बात को खारिज नहीं किया जा सकता। विपक्ष भी नीतीश राज में तबादला उद्योग के फलने-फूलने की बात कहते रहा है।
अब देखना होगा कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय द्वारा किये गये तबादले की समीक्षा के बाद फिर से आदेश जारी होता है या नहीं ? यह भी देखना होगा कि मंत्री रामसूरत राय आगे क्या करते हैं?