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अब नहीं लौटा सकेंगे पुरस्कार, अवॉर्ड वापसी पर रोक लगाने के लिए संसदीय समिति ने की सरकार से सिफारिश

देश में सरकार के फैसले के खिलाफ या फिर किसी भी घटना के विरोध में देश के नामचीन लोगों ने अपने अवॉर्ड लौटाए है। इससे सरकार की काफी किरकिरी हुई। सरकार को हाल ही में मणिपुर के टॉप एथलीट्स ने प्रदेश में हिंसा न रोक पाने की स्थिति में अवार्ड वापसी की धमकी दी है। उनका कहना कि अगर मणिपुर में भड़की हिंसा जल्द शांत नहीं की हुई तो अवार्ड वापस करना शुरू करेंगे। इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों इसको संसदीय समिति ने एक खास पहल की है। अब अवॉर्ड देने से पहले प्राप्तकर्ता से अंडरटेकिंग फॉर्म भरवाने की सिफारिश की गई है।

संसदीय समिति ने की सिफारिश

सरकार को भेजे गए अपने सिफारिश में संसदीय समिति ने कहा है कि शीर्ष सांस्कृतिक संस्थानों और अकादमियों को पुरस्कार वापसी जैसी स्थिति से बचने के लिए अवार्ड प्राप्त करने वाले से पहले वचन लेना चाहिए। समिति ने कहा कि इससे पुरस्कारों की साख पर असर पड़ रहा है। इससे बचने के लिए कमेटी ने सरकार से एक ऐसी व्यवस्था बनाने की सिफारिश की है, जिसमें पुरस्कार देने से पहले अवॉर्ड पाने वाले कलाकार, लेखक और अन्य बुद्धिजीवी से इस बात की सहमति ले ली जाए कि वह भविष्य में पुरस्कार वापस नहीं करेंगे। संसद की स्थायी समिति अवार्ड वापसी के मुद्दे को देश का अपमान बताया है।

अवॉर्ड पाने वाले उम्मीदवार पहले शपथ पत्र भरे

संसदीय समिति का मानना है कि अवॉर्ड पाने वाले उम्मीदवार से पहले एक शपथ पत्र भरवाना चाहिए। साथ ही बगैर सहमति के किसी को भी पुरस्कार न दिया जाए। कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि जब भी कोई पुरस्कार दिया जाए तो प्राप्तकर्ता की ओर से इस बात की सहमति जरूर ली जाए कि वह भविष्य में पुरस्कार वापस नहीं करेगा, ताकि वह राजनीतिक कारणों से इसे वापस न लौटाए। समिति ने सिफारिश रखते हुए ऐसे कई मामलों का जिक्र किया है, जिनमें अवॉर्ड लौटाने की बात कही गई थी। समिति के सदस्यों ने साल 2015 में कर्नाटक के प्रख्यात लेखक कलबुर्गी की हत्या के बाद अवॉर्ड वापसी मामले का भी जिक्र किया।

पुरस्कार लौटाना विरोध का एक तरीका बन रहा

सरकार को भेजे गए अपने सिफारिश में कमेटी ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हमारा संविधान हर नागरिक को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। संविधान विरोध-प्रदर्शन की भी आजादी देता है, लेकिन पुरस्कार लौटाना विरोध का एक तरीका बन रहा है। कमेटी का यह भी कहना है कि साहित्य अकादमी सहित पुरस्कार देने वाली दूसरी अकादमियां एक गैर राजनीतिक संगठन है। इसलिए राजनीति के लिए यहां कोई स्थान नहीं है। ऐसा करने वालों को किसी ज्यूरी में रखने या फिर किसी अहम पद पर नामित नहीं किया जाना चाहिए।

लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य समिति में शामिल

सरकार को भेजी गई इस समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी संसद की इस स्थाई समिति के अध्यक्ष राज्यसभा सांसद व वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी विजयसाय रेड्डी हैं।

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