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Chhattisgarh Naxal Attack में 50Kg IED हुआ यूज, किराए की वैन से जा रहे थे जवान

छत्तीसगढ़ में हुए जिस बड़े नक्सली हमले में 10 पुलिस वालों और एक नागरिक (ड्राइवर) की जान चली गई, उसमें 50 किलो का शक्तिशाली इंप्रूवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) इस्तेमाल किया गया था। यह ब्लास्ट इतना जबरदस्त था, इस बात का अंदाजा हादसे के बाद मौके पर हुए “भीमकाय गड्ढे” से लगाया जा सकता है। वहां पर बड़ा और गहरा सा गड्ढा हो गया था, जबकि आसपास के पेड़ भी उखड़ गए थे।
इस बीच, सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के वे सारे पुलिस वाले उस समय किराए की मिनी वैन के जरिए जा रहे थे। आशंका जताई गई कि चूंकि इस वैन में कोई बैलिस्टिक सुरक्षा नहीं थी लिहाजा विस्फोट के बल के चलते वह कम से कम 20 फीट दूर जाकर गिरी होगी।

आइए, 10 प्वॉइंट्स में समझते हैं कि बुधवार (26 अप्रैल, 2023) को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में क्या कुछ हुआ:

सूबे के नक्सल प्रभावित जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में बारूदी सुरंग में यह विस्फोट हुआ, जिसमें 10 जवान शहीद हुए और एक ड्राइवर मारा गया। क्षेत्र में दरभा डिवीजन के नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से सुरक्षाबल के जवानों को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था।

सुरक्षाबल के जवान जब छोटे मालवाहक वाहन से लौट रहे थे तब नक्सलियों ने अरनपुर और समेली गांव के मध्य शक्तिशाली बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया था। घटना के बाद अतिरिक्त सुरक्षा बल को मौके के लिए रवाना किया गया, जबकि शहीद जवानों के शवों को बाहर निकाला गया। बाद में हमलावर नक्सलियों की खोज में सुरक्षा बल ने खोजी अभियान भी चलाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर खेद जताया और ट्वीट के जरिए कहा, ‘‘मैं हमले की कड़ी निंदा करता हूं। मैं उन बहादुर कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्हें हमने हमले में खो दिया। उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’

अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री को हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। मंत्री ने बघेल से बात की और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को हरसंभव मदद देगी।

इस बीच, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सली घटना में जवानों की शहादत पर दुख जताया। हरिचंदन ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि नक्सलियों के राष्ट्र विरोधी मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। केंद्र और राज्य शासन समन्वय पूर्वक नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है।

वहीं, बघेल बोले, ”यह समाचार बेहद दुखद है। हम सब प्रदेशवासी उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनके परिवारों के साथ दुःख में हम सब साझेदार हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है। नक्सलियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हम समन्वित तरीके से काम करेंगे और नक्सलवाद को खत्म करेंगे।”

जहां घटना हुई वह क्षेत्र राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 450 किलोमीटर दूर स्थित है और सूबे में पिछले दो वर्षों के दौरान सुरक्षाबलों पर माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला है।

दंतेवाड़ा समेत सात जिलों में शामिल बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर मार्च और जून माह के बीच बड़ी संख्या में हमले हुए थे। साल के मार्च और जून महीने के बीच नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं।

इससे पहले तीन अप्रैल 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 22 जवान शहीद हुए थे, जबकि 21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।

वहीं, नौ अप्रैल, 2019 को दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे तथा सुकमा में 24 अप्रैल, 2017 को बुरकापाल हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मृत्यु हुई थी। 2010 में ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा में) में हुए सबसे बड़े नक्सली हमले जिसमें 76 जवानों की मृत्यु हुई थी वह भी टीसीओसी के दौरान अप्रैल माह में हुआ था।

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