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टीनएज में सहमति से बने यौन संबंध क्राइम नहीं? जनहित याचिका पर SC ने केंद्र से किया जवाब तलब

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा जिसमें किशोर उम्र में आपसी सहमति से यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने को लेकर निर्देश देने की मांग की गई है. जनहित याचिका में यह भी दावा किया गया कि लाखों की संख्या में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों और 18 साल से अधिक उम्र के लड़कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध बनाए जा रहे हैं.

याचिका में आगे कहा गया कि इस तरह के संबंधों में वैधानिक तरीके से रेप का मामला बनने पर आरोपी लड़के को गिरफ्तार कर लिया जाता है. यह स्थिति तब होती है जब लड़की या तो गर्भवती हो जाती है या फिर माता-पिता पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं. याचिका पर कोर्ट ने केंद्र से देश में रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन पर जवाब मांगा, जो ऐसे मामले में लड़के को गिरफ्तारी से बचाता है जिसमें उसकी उम्र लड़की से चार साल से अधिक न हो.

खासतौर से, POCSO एक्ट के तहत, नाबालिगों (18 साल से कम) की सहमति का कोई मतलब नहीं बनता है, और इस तरह की किसी भी सहमति वाली एक्टिविटी को यौन हमला करार दिया जाता है. जबकि आईपीसी की धारा 375 के तहत 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध को रेप ही माना जाएगा, भले ही इस मामले में उसकी ओर से सहमति हो.

यह जनहित याचिका वकील हर्ष विभोर सिंघल ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर दाखिल की है. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने वकील हर्ष की याचिका पर ध्यान दिया. बेंच ने मामले में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के अलावा गृह मामलों और राष्ट्रीय महिला आयोग सहित कुछ अन्य वैधानिक निकायों को भी नोटिस जारी किया है.

जनहित याचिका में क्या?

देश की सबसे बड़ी अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया, “कोर्ट अनुच्छेद 32 या याचिका की प्रकृति के अनुरूप अन्य निर्देश के तहत एक परमादेश रिट पारित करे. साथ में 16 साल से अधिक तथा 18 साल से कम उम्र के युवाओं के बीच या 18 साल से ज्यादा उम्र के किसी अन्य के साथ आपसी सहमति से बने यौन संबंधों के हर तरह के मामलों पर लागू वैधानिक रेप के कानून को कम करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.”

रोमियो-जूलियट कानून में क्या खास?

रोमियो और जूलियट कानून वैधानिक रेप से जुड़े मामलों में उन अपराधियों को कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करते हैं, जहां नाबालिग ने यौन संबंधों के लिए आपसी सहमति दी, या फिर नाबालिग और कथित अपराधी के बीच उम्र का अंतर कम है. यह कानून कई देशों में लागू है. इस कानून के लागू होने से पहले, इस तरह से यौन संबंधों के मामले में रेप का आरोप तभी लगाया जाता था जब लड़का वयस्क होता था.

हालांकि, साल 2007 के बाद से ही कई देशों ने अपने यहां रोमियो-जूलियट कानून को अपना लिया है. इसमें उन लड़कों की गिरफ्तारी से सुरक्षा मिलती है जिनकी उम्र किशोर लड़की से चार साल से अधिक न हो.

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