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मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने बनाई HC की तीन पूर्व महिला जजों की कमेटी, CBI और पुलिस जांच से अलग मामलों को देखेगी

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की पूर्व तीन महिला जजों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी सीबीआई और पुलिस जांच से अलग मामलों को देखेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन पूर्व न्यायाधीशों की समिति की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर HC की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल करेंगी और इसमें न्यायमूर्ति शालिनी जोशी, न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल होंगी। साथ ही सीबीआई (CBI) जांच की निगरानी के लिए एक पूर्व अधिकारी को नियुक्त किया है। सीजेआई (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश दिया कि सीबीआई जांच की निगरानी मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर दत्तात्रेय पटसालगिकर करेंगे।

मणिपुर हिंसा को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कोर्ट में मौजूद थे।

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा।। ये अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे। 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखेंगी जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं।

अटॉर्नी जनरल वेंकटरमनी ने बताया कि 6500 एफआईआर का वर्गीकरण कर कोर्ट को उपलब्ध करवा दिया गया है। हमें बहुत परिपक्वता से मामले को देखने की जरूरत है। हमने कई तरह के एसआईटी के गठन का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि हत्या के मामलों की जांच वाली एसआईटी का नेतृत्व एसपी रैंक के अधिकारी करेंगे। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामलों की जांच के लिए वरिष्ठ महिला अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी बनेगी। इसी तरह और भी एसआईटी हैं। डीआईजी उनसे रिपोर्ट लेंगे। हर 15 दिन पर डीजीपी भी समीक्षा करेंगे।

अटॉर्नी ने कहा कि हिंसा से ज्यादा प्रभावित हर जिले में 6 एसआईटी बनेंगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पहले जो 11 केस सीबीआई को सौंपे गए थे, उनकी जांच सीबीआई ही करेगी। महिलाओं से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआई की महिला अधिकारी भी शामिल रहेंगी।

सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी बने। महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक उच्चस्तरीय आयोग भी बने, जो पीड़ित महिलाओं से बात करे। लोग शव नहीं ले जा पा रहे हैं।’

इस पर अटॉर्नी ने कहा, ‘उनको निहित स्वार्थी तत्वों की तरफ से रोका जा रहा है, ताकि सरकार को विफल बताया जा सके। हालात को जानबूझकर जटिल बनाए रखने की कोशिश है।

सॉलिसीटर ने कहा, ‘दो दिन पहले भी एक वारदात हुई है। हर बार सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले कुछ घटना हो जाती है। उन्होंने आगे कहा कि कह नहीं सकते कि क्या यह वाकई संयोग है। मेरा अनुरोध है कि राज्य सरकार पर भरोसा करें। साथ ही, अगर आप कोई हाई पावर कमेटी बना रहे हैं तो उसमें पूर्व जजों को रखें, सामाजिक कार्यकर्ताओं को नहीं।’

दलील को सुनने के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कहा’ ‘हमारी कोशिश है कि लोगों में भरोसा कायम हो। हम विचार कर रहे हैं कि तीन पूर्व हाई कोर्ट जजों की कमेटी बनाएं जो राहत और पुनर्वास का काम देखेगी। पूर्व जजों की कमेटी की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व जज गीता मित्तल करेंगी, दो अन्य सदस्य- जस्टिस शालिनी जोशी और आशा मेनन होंगी।

सीजेआई ने आगे कहा, ’11 एफआईआर सीबीआई को ट्रांसफर की गई हैं, हम उसमें दखल नहीं देंगे, लेकिन हम निर्देश देंगे कि कम से कम सीबीआई टीम में पांच अधिकारी डिप्टी एसपी या एसपी रैंक के हों। ये अधिकारी दूसरे राज्यों की पुलिस से हों, लेकिन स्थानीय लोगों से हिंदी में बात कर सकें। सीबीआई जांच की निगरानी मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर दत्तात्रेय पटसालगिकर करेंगे।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि मणिपुर सरकार ने 42 एसआईटी बनाने की बात कही है। हम चाहते हैं कि हर एसआईटी में कम से कम एक इंस्पेक्टर सदस्य हो, जो दूसरे राज्य की पुलिस से होगा। दूसरे राज्यों से डीआईजी रैंक के 6 अधिकारी हों, जो 42 एसआईटी के काम पर निगरानी रखेंगे।

बता दें, मणिपुर में कुकी-मैतई के बीच झड़पों के तीन महीने बाद बढ़ते तनाव को देखते हुए केंद्र ने राज्य में 900 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को भेजा है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की 10 और कंपनियां (900 जवान) को मणिपुर भेजा है। वे शनिवार रात राज्य की राजधानी इंफाल पहुंचे। इन्हें पूर्वोत्तर राज्य के कई जिलों में तैनात किया जा रहा है।

पांच पुलिस कर्मी निलंबित

वहीं महिलाओं को नग्न करके घुमाने के मामले में पुलिस-प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने उस क्षेत्र के थाना प्रभारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है, जहां 4 मई को भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना हुई थी। अधिकारियों ने रविवार इस बात की जानकारी दी थी। अधिकारियों ने कहा कि 19 जुलाई को घटना का वीडियो सामने आया था। इस घटना के तुरंत बाद मणिपुर पुलिस ने थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी और चार अन्य पुलिस कर्मियों को निलंबित करने का फैसला किया।

मणिपुर में विवाद की जड़ क्या है?

मणिपुर विवाद की जड़ कोई नई नहीं है। यह विवाद कई सालों से चला रहा है, लेकिन बीते तीन महीने से इस विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया। असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है। बता दें, मणिपुर की आबादी करीबन 33 लाख है। जिसमें से 64.6 फीसदी लोग मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जबकि 35.40 फीसदी आबादी कुकी, नागा और दूसरी जनजातियों की है। राज्‍य में 34 जनजात‍ियां रहती हैं।

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