रांची स्थित सदर अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। नवजात के माता-पिता का आरोप है कि अस्पताल में प्रसव कराने के दौरान डॉक्टर की लापरवाही से नवजात के दोनों हाथ टूट गए। हालांकि नवजात के हाथों को जोड़ दिया गया है। इधर, नवजात की मां मनीषा पाठक का कहना है कि वह इस घटना के कारण मानसिक तनाव में हैं। मनीषा ने प्रसव कराने वाली डॉक्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
इसके साथ ही मनीषा एवं उनके पति विकास ने बच्ची के हाथों का इलाज करने वाले डॉक्टर पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। दंपति का कहना है कि हड्डी के डॉक्टर ने बच्ची का समय पर इलाज नहीं किया एवं दोबारा विजिट पर आने पर 5 हजार रुपए की मांग की।
कई दिनों तक सुनवाई नहीं होने का आरोप
दरअसल, गाड़ीखाना निवासी मनीषा की छह अक्टूबर को सदर अस्पताल में सर्जरी हुई थी। तब डॉ. वीणा ने उनका प्रसव करवाया था। प्रसव के बाद बच्ची को नियो नेटल में रखा गया। उसकी मां ने बच्ची को देखा तो उसके हाथ सूजे हुए थे। इस पर उसने डॉक्टर से शिकायत की। तब जाकर बच्ची के हाथों का एक्स-रे करवाया गया। एक्स-रे रिपोर्ट में नवजात के दोनों हाथों में फ्रैक्चर पाया गया। परिजन का आरोप है कि बच्ची का तुरंत इलाज नहीं किया। महिला कई दिनों तक हड्डी के डॉक्टर के पास बच्ची का इलाज करने की गुहार लगाने के लिए जाती रही।
प्रसव के दौरान बच्चे का हाथ उलझे रहने पर आते हैं ऐसे मामले
डॉ. मुजामिन का कहना है कि, जब प्रसव के दौरान बच्चे का हाथ उलझा रहता है, उस परिस्थिति में इस तरह के केस सामने आते हैं। बच्ची के परिजनों को बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। वह बेवजह इस मामले को बढ़ा रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार का कहना है कि परिजनों द्वारा लिखित शिकायत किए जाने पर मामले की जांच करवाई जाएगी। जबकि महिला चिकित्सकों का कहना है कि जन्म के बाद नवजात को पकड़ने में परिजन गलती कर देते हैं। इस वजह से कई बार इस तरह के मामले सामने आते हैं।