मणिपुर सरकार ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अफवाहों और शांति व्यवस्था की गड़बड़ी पर लगाम लगाने के लिए राज्य में इंटरनेट पर प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए और बढ़ा दिया है। इस बात की जानकारी मणिपुर सरकार द्वारा जारी नए आदेशों से मिली। जिसमें बताया गया है कि राज्य अतिशीघ्र शांति आए, गलत सूचना न फैले, इसीलिए इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को पांच दिनों यानी 10 जून की दोपहर 3 बजे तक के लिए और बढ़ा दिया गया है। इस फैसले से क्या असर होगा, यह देखने वाली बात होगी।इसी बीच ये खबर आई हैं कि एक BSF जवान जिनका नाम रंजित यादव था, उनको गोली लगी जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान वो शहीद हो गए हैं।
कल उपद्रवियों ने 100 घरों में आग लगाया था
सीधे -सीधे कहें तो गृहमंत्री अमित शाह के चार दिवसीय दौरे का भी मणिपुर में कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। उनके दौरे के तुरंत बाद मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी। कल काकचिंग जिले के सेरो गांव में कुछ उपद्रवियों ने 100 घरों में आग लगा दी। इसमें कांग्रेस विधायक रंजीत सिंह का घर भी शामिल है।बता दें कि, राज्य में 3 मई से मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच भयंकर झड़प हो रही है।
लेकिन कल जो तांडव हुआ था, उसे किस समुदाय के लोगों ने अंजाम दिया है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिली है। 3 मई को शुरू हुई हिंसा में अब तक 98 लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। वहीं, लगभग 40 हजार से ज्यादा लोगों को हिंसा से बचाने ले लिए राहत शिविर में शिफ्ट किया गया। हिंसा के चलते 11 से ज्यादा जिले प्रभावित हुए हैं, और हालात अभी भी नाजुक बना हुआ है।
मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है। अब वक्त आ गया है कोई सख्त निर्णय लेने का, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब देश के सबसे खुबसूरत राज्यों में से एक राज्य की स्थिति संभाले नहीं संभलेगी।