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शहर और स्टेशन के बाद अब क्यों हो रही केरल का नाम बदलने की मांग?

देश में कई शहरों और स्टेशन के नाम बदले जाने के बाद अब दक्षिण के राज्य का नाम बदलने की चर्चा है. केरल सरकार राज्य का नाम बदलना चाहती है. राज्य का नाम बदलने के लिए केरल विधानसभा में प्रस्ताव भी पास हो गया है. सब कुछ ठीक रहा तो केरल को केरलम के नाम से जाना जाएगा. अब फुटबॉल केंद्र सरकार के पाले है. प्रस्ताव पास करके इसे राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा है.

जानिए क्यों बदला रहा है, क्या है वो नियम जिसके तहत नाम को बदलने की तैयारी है, पुराने और नए नाम में कितना अंतर है और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का क्या कहना है?

क्यों बदला जा रहा है केरल का नाम?

नाम बदलने को लेकर कई तर्क दिए जा रहे हैं. पहला, केरल सरकार का तर्क है कि केरल को मलयालम में ‘केरलम’ कहा जाता है, लेकिन दूसरी भाषाओं में इसे केरल ही पढ़ा और लिखा जाता है. संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम केरल दर्ज है. इसलिए इसका नाम बदला जाना चाहिए.

दूसरा, 1 नवंबर, 1856 को जब भाषा के आधार पर केरल अलग राज्य बना तो लेकिन इसे केरलम की जगह केरल कहा गया. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, सदन में नियम 118 के तहत एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें केंद्र सरकार से भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में हमारे राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का अनुरोध किया गया है.

कैसे शुरू हुई मांग?

सदन में प्रस्ताव पेश करते वक्त मुख्यमंत्री विजयन ने तर्क दिया कि मलयालम में केरलम शब्द स्वीकृत है, जबकि अन्य भाषाओं में इसे केरल के रूप में जाना जाता है. मलयालम में हमारे राज्य का नाम केरलम है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सभी मलयालम भाषी लोगों के लिए एक संयुक्त केरल राज्य बनाने की मांग थी, लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल दर्ज किया गया था. अब विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत सभी आधिकारिक भाषाओं में राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर ‘केरलम’ करने के लिए अनुरोध किया है.

संविधान की पहली अनुसूची में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और उनके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्रों की गणना की गई है, जबकि आठवीं अनुसूची में भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं की सूची है. केरल की सरकार के अनुरोध पर विपक्ष ने भी अपनी सहमति दी है.

कैसे बना केरल?

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 1949 को त्रावणकोर और कोचीन की दो रियासतों को मिलाकर संयुक्त राज्य त्रावणकोर और कोचीन बनाया गया था. एक साल बाद यानी जनवरी 1950 में इसका नाम बदलकर त्रावणकोर-कोचीन राज्य किया गया.

ब्रिटेनिका की रिपोर्ट के मुताबिक, 1956 में, मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) के मालाबार तट और दक्षिण कनारा के कासरगोड तालुका (प्रशासनिक उपखंड) को वर्तमान केरल राज्य बनाने के लिए त्रावणकोर-कोचीन में जोड़ा गया था.

क्या नाम बदलने वाला देश का पहला राज्य है?

नहीं, यह देश का पहला ऐसा मामला नहीं है. 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया था. कई बार पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मांग भी उठ चुकी है. पश्चिम बंगाल सरकार चाहती है कि इसका नाम बदलकर ‘बांग्ला’ किया जाए. इसके लिए पिछले साल जुलाई में गृह मंत्रालय ने संसद को बताया था कि ममता बनर्जी सरकार की तरफ से नाम को बदलने का प्रस्ताव मिला है.

राज्यों का मामला भले ही यहां तक सीमित हो, लेकिन देश में ऐसे कई शहर और रेलवे स्टेशन हैं जिनके नाम बदले जा चुके हैं.

दक्षिण में देखें तो 2017 में आंध्र प्रदेश के शहर राजमुंदरी का नाम बदलकर राजमहेंद्रवरम रखा गया. 2018 में झारखंड के नगर उंटारी का नाम बदलते हुए श्री बंशीधर नगर और इलाहाबाद को प्रयागराज किया गया. 2021 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद को नर्मदापुरम और बाबाई को माखन नगर किया गया. पिछले साल मार्च में पंजाब के शहर श्री हरगोबिंदपुर को श्री हरगोबिंदपुर साहिब किया गया.

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