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11 या 12 अगस्त, कब है रक्षाबंधन? भद्राकाल के कारण बना संशय, जानिए सही तिथि

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। हर साल रक्षाबंधन का पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।इस साल भद्राकाल की वजह से रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर संशय बना हुआ है। दरअसल इस साल रक्षाबंधन का पावन त्योहार 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। 11 अगस्त को प्रातः सूर्योदय के साथ चतुर्दशी तिथि रहेगी और 10:58 से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जो कि रात्रि 8:50 तक रहेगी। आइए जानते हैं राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्रा समय…

वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार 11 अगस्त रक्षाबंधन के दिन हालांकि भद्रा उपस्थित तो रहेगी लेकिन इस बार चन्द्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा अधोमुख होगी। साथ ही भद्रा का निवास पाताल में रहेगा। जिससे पृथ्वीलोक प्रभावित नहीं होगा। इसलिए इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा की उपस्थित से कोई बाधा नहीं होगी।

रक्षाबंधन तिथि

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 11 अगस्त, सुबह 10:58 मिनट से
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 12 अगस्त. सुबह 7:05 मिनट पर

राखी बांधने का शुभ चौघड़िया मुहूर्त

सुबह 10.45 बजे से 12.24 बजे तक चर

दोपहर 12.24 बजे से 14.04 तक लाभ

दोपहर 2.04 बजे से 15.43 बजे तक अमृत

शाम 5.22 बजे से 7.02 बजे तक शुभ

वैदिक पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन पर घटित होने वाली भद्रा वृश्चिकी भद्रा है। सर्पिणी भद्रा नहीं होने से इसके मुख में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है क्योंकि बिच्छू के पुंछ में विष होता है। इसलिए वृश्चिकी भद्रा की पूछ त्याज्य है। शास्त्रानुसार 11 अगस्त को रात्रि 8:50 के बाद भद्रोत्तरम (भद्रा के उपरांत) राखी बांधी जाना बेहद शुभ है। वहीं अगर कोई मजबूरी हो तो चौघड़िया मुहूर्त में रांखी बांधवा सकते हैं।

वैदिक पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बना हुआ है। वैदिक पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को व्रत की पूर्णिमा के दिन पूरे दिन आयु योग के साथ श्रवण नक्षत्र रहेगा। फिर स्नान-दान की पूर्णिमा 12 अगस्त को धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सौभाग्य योग विद्यमान रहेगा। यह योग राखी के त्योहार को और ज्यादा विशेष बना रहे हैं।

शास्त्रों के अनुसार राखी बांधते समय भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद बहन को अपनी अनामिका उंगली से भाई के मस्तक पर रोली का तिलक लगाना चाहिए। तिलक पर अक्षत लगाने चाहिए। इसके बाद भाई की कलाई पर राखी बांधना चाहिए।

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