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बच्चों को मिड-डे मील में क्यों नहीं दे रहे चिकन-मटन, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने  लक्षद्वीप प्रशासन से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें द्वीप केंद्र शासित प्रदेश में मिड-डे मील योजना से मटन और चिकन को हटाने को चुनौती दी गई थी। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ केरल हाई कोर्ट के सितंबर 2021 के फैसले के खिलाफ दायर एक विशेष अवकाश याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन के मिड-डे मील से चिकन और मांस को बाहर करने और आसपास के डेयरी फार्म को बंद करने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।

बच्चों को इससे वंचित क्यों कर रहे हैं?
खंडपीठ ने पूछा, आप बच्चों को इससे वंचित क्यों कर रहे हैं? बेंच सवाल पूछ रही थी तभी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अपनी बात रखते हुए कहा, एक बेहतर चीज दी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या बेहतर है? चिकन और मटन के बजाय, वे सूखे मेवे खाएंगे?

इस पर कहा गया कि मटन और चिकन सप्लीमेंट्री आइटम के तौर पर दिया जाता है। तब बेंच ने कहा, फिर इन्हें देना जारी रखें। एएसजी ने दोहराया कि यह एक नीतिगत फैसला है जो विभिन्न पहलुओं जैसे आइटम की मौसमी उपलब्धता, आर्थिक कारकों सहित अन्य पहलुओं को देखने के बाद लिया जाता है। एएसजी ने कहा कि पौष्टिक पहलुओं में गड़बड़ी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
बेंच ने अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की है। साथ ही कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चे मिड-डे मील की वजह से ही आते हैं। हमें मिड-डे मील योजना पर बात कर रहे हैं।

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