दिल्ली MCD के स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव को शुक्रवार (24 फरवरी) को हो रहे हैं। दिल्ली नगर निगम हाउस की स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से कुछ समय पहले बवाना से आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद पवन सहरावत भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए।
AAP पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
बीजेपी दिल्ली ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “केजरीवाल को लगा बड़ा झटका, AAP की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार से परेशान, बवाना वार्ड-30 से आम आदमी पार्टी के पार्षद श्री पवन सहरावत ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।” भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बवाना के पूर्व AAP पार्षद पवन सहरावत ने कहा कि वह आप की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं।
पवन सहरावत ने कहा, “अरविंद केजरीवाल की सरकार में जो भ्रष्टाचार होते रहे हैं उन्हें देखकर हमारा इस पार्टी में दम घुटने लगा है। चुनाव होने के बाद हमारे ऊपर पूरा दबाव बना रहा कि आप पूरे हाउस में हंगामा मचा कर रखो ताकि अभी चुनाव नहीं हों। मेयर तो हमारा ही बनना है आप पूरा हल्ला मचा कर रखो।”
AAP विधायक आतिशी मार्लेना ने कहा कि बीजेपी चुनाव नहीं जीते तो दूसरी पार्टी की सरकार नहीं बनने देंगे? आज ये MCD में कर रहे हैं और किसी राज्य में कर सकते हैं और सदन में भी कर सकते हैं। लोकतंत्र में जनता का जनादेश सिर आंखों पर होना चाहिए।
दिल्ली एमसीडी हाउस में हंगामा
स्थायी समिति के चुनाव बुधवार शाम को शुरू हुए जब आप की शेली ओबेरॉय को दिल्ली का नया मेयर चुना गया। जिसके बाद स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव से पहले सदन में जमकर हंगामा हुआ। आप और भाजपा के पार्षदों ने आपस में मारपीट की, एक-दूसरे पर पानी की बोतलें, फल फेंके और आपस में धक्कामुक्की की। दोनों पार्टी के पार्षदों ने हाउस में मतपेटियां भी उछालीं, जिसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया था। गुरुवार की सुबह सदन में नारेबाजी, तकरार और मारपीट के बाद चुनाव ठप हो गया और सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
एल्डरमैन को सदन के अंदर जाने की अनुमति नहीं
सत्र शुरू होने से पहले हंगामा तब शुरू हुआ जब स्थायी समिति के चुनाव के लिए एल्डरमैन को सदन के अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। इससे पहले दिल्ली नगर निगम (MCD) में महापौर चुनाव के पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने 6 फरवरी को कहा था कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के अनुसार एल्डरमैन, जो मनोनीत सदस्य हैं उन्हें सदन में मतदान करने और महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव करने की अनुमति है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे ऐसा नहीं कर सकते।