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भारत में कहां से आया समोसा? जानिए क्या है इस लजीज व्यंजन का इतिहास?

समोसा! ऐसा व्यंजन जिसका नाम लेते ही मुंह में पानी आए, कुरकुरी परत से होते हुए जब इसके नरम हिस्से तक दांत पहुंचते हैं. उसके बाद जो लज्जत मुंह में घुलती है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. भारत में समोसे कभी मीठी-हरी चटनी के साथ तो कभी सब्जी या चाय के साथ खाए जाते हैं. यह एक ऐसा व्यंजन है जिसे समधर्मी व्यंजन की संज्ञा दी गई है, मगर कभी आपने सोचा है कि समोसे का इतिहास क्या है? कब से ये भारत में बनना शुरू हुआ? आइए जानते हैं

समोसे की उत्पत्ति ईरान से मानी जाती है. यहां इसे संबुश्क कहा जाता था. इसका उल्लेख सबसे पहले फारसी इतिहासकार अबुल फजल बेहकी ने 11 वीं शताब्दी में किया था. ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले समोसे को मजबूम गजनवी को परोसा जाता था. उस वक्त समोसे में कीवा, मेवे और फल होते थे. हालांकि ये तिकोना कब से बनना शुरू हुआ. इसका कहीं स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है. भारत में पहुंचते-पहुंचते यह समोसा हो गया. शुरुआती दौर पर नजर डालें तो बिहार ओर पश्चिम बंगाल में इसे सिंघाड़ा भी कहा जाता था.

 

ईरान से यह लजीज व्यंजन भारत आया. इसके लिए इसने उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तार होते हुए यहां तक का सफर तय किया. बताया जाता है कि अफगानिस्तान में सूखे मेवे की जगह समोसे में सिर्फ मीट और प्याज भरा जाता था. खास तौर से इसे वे लोग यूज करते थे जो जंगल में जानवरों को चराने जाते थे. यहां से वह भारत पहुंचा तो यहां शाकाहार का प्रभाव देखकर स्टफिंग ने आलू की शक्ल ले ली. इसीलिए वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेश पंत इसे समधर्मी व्यंजन मानते थे.

भारत में समोसे ने खुद को स्थानीय तौर पर ढाला. यहां ये ऐसा फास्ट फूड बना जो खुद को समय के साथ बदलता रहा. मीट की जगह आलू और अन्य सब्जियों ने ले ली. काली मिर्च और मसालों का प्रयोग होने लगा. ऐसा कहा जाता है कि समोसे में आलू भरने की शुरुआत पुर्तगालियों के समय से हुई थी.

भारत में समोसे का बहुत बड़ा व्यापार है, भारत में कई तरह के समोसे प्रसिद्ध हैं, इनमें सबसे ज्यादा आलू भरा समोसा ही पसंद किया जाता है, इसके अलावा छोले-समोसे, जैम समोसा, नूडल्स समोसा, फिश समोसा, पास्ता, पंजाबी ओर कीमा, चीज, मशरूम, फूल गोभी और चॉकलेट, ऑनियन और स्वीट, चिकन, पनीर समोसा प्रसिद्ध है

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