हाल के महीनों में भारत में टमाटर और फिर आलू की कीमतों में हुई बढ़ोतरी काफी चर्चा में रही। इससे आम लोगों के किचन का बजट भी प्रभावित हुआ। आलू और टमाटर के बाद अब भारत में चीनी के दाम भी बढ़ सकते हैं। हालांकि सरकार चीनी की कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए इसके निर्यात पर बैन लगा सकती है।अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले सीजन में चीनी मिलों को निर्यात करने से रोका जा सकता है। ऐसा 7 सालों में पहली बार होने जा रहा है, जहां भारत से चीनी की शिपमेंट रुक जाएगी।
क्यों लग सकता है बैन
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार बारिश की कमी के कारण गन्ने की पैदावार में कमी आई है। इससे चीनी का उत्पादन कम रह सकता है, जिसके नतीजे में इसकी कीमतें बढ़ सकती हैं। इसीलिए सरकार चीनी के निर्यात को रोक सकती है।
इथेनॉल उत्पादन पर फोकस
सरकार का ध्यान घरेलू चीनी आवश्यकताओं को पूरा करना और एक्स्ट्रा गन्ने से इथेनॉल का उत्पादन करना है। संभावना है कि आगामी सीजन के लिए निर्यात कोटा एलॉट करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त चीनी न हो।सरकार ने मिलों को चालू सीजन के दौरान 30 सितंबर तक केवल 61 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी, जबकि पिछले सीजन में उन्हें रिकॉर्ड 1.11 करोड़ टन चीनी बेचने की अनुमति दी गई थी।
2016 में लगाई थी एक्सपोर्ट ड्यूटी
2016 में, भारत ने चीनी के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए 20 फीसदी टैक्स लगाया था। पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्य कर्नाटक के टॉप गन्ना उत्पादक जिलों (जिनमें भारत के कुल चीनी उत्पादन का आधे से अधिक हिस्सा रहता है) में मानसून की बारिश अब तक औसत से 50% कम रही है। इस बात का खुलासा मौसम विभाग के डेटा में हुआ है।”